HINDI
Sanchayan Chapter 1
हरिहर काका
पठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
कथावाचक और हरिहर काका के बीच क्या संबंध है और इसके क्या कारण हैं?उ
3त्तर-
हरिहर काका और कथावाचक (लेखक) दोनों के बीच में बड़े ही मधुर एवं आत्मीय संबंध थे, क्योंकि दोनों एक गाँव के निवासी थे। कथावाचक गाँव के चंद लोगों का ही सम्मान करता था और उनमें हरिहर काका एक थे।
प्रश्न 2.
हरिहर काका को महंत और अपने भाई एक ही श्रेणी के क्यों लगने लगे?
उत्तर-
हरिहर काका एक निःसंतान व्यक्ति थे। उनके पास पंद्रह बीघे जमीन थी। हरिहर काका के भाइयों ने पहले तो उनकी खूब देखभाल की परंतु धीरे-धीरे उनकी पत्नियों ने काका के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया। महंत को जब यह पता चला तो वह बहला-फुसलाकर काका को ठाकुरबारी ले आए और उन्हें वहाँ रखकर उनकी खूब सेवा की। साथ ही उसने काका से उनकी पंद्रह बीघे जमीन ठाकुरबारी के नाम लिखवाने की बात की। काका ने जब ऐसा करने से मना किया तो महंत ने उन्हें मार-पीटकर जबरदस्ती कागज़ों पर अँगूठा लगवा दिया। इस बात पर दोनों पक्षों में जमकर झगड़ा हुआ। दोनों ही पक्ष स्वार्थी थे। वे हरिहर काका को सुख नहीं दुख देने पर उतारू थे। उनका हित नहीं अहित करने के पक्ष में थे। दोनों का लक्ष्य जमीन हथियाना था। इसके लिए दोनों ने ही काका के साथ छल व बल का प्रयोग किया। इसी कारण हरिहर काका को अपने भाई और महंत एक ही श्रेणी के लगने लगे।
प्रश्न 3.
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं उससे उनकी किस मनोवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर-
ठाकुरबारी के प्रति गाँव वालों के मन में अपार श्रद्धा के जो भाव हैं, उनसे उनकी ठाकुर जी के प्रति भक्ति भावना, आस्तिकता, प्रेम तथा विश्वास को पता चलता है। वे अपने प्रत्येक कार्य की सफलता का कारण ठाकुर जी की कृपा को मानते थे।
प्रश्न 4.
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अनपढ़ होते हुए भी हरिहर काका दुनिया की बेहतर समझ रखते हैं। वे जानते हैं कि जब तक उनकी जमीन-जायदाद उनके पास है, तब तक सभी उनका आदर करते हैं। ठाकुरबारी के महंत उनको इसलिए समझाते हैं क्योंकि वह उनकी जमीन ठाकुरबारी के नाम करवाना चाहते हैं। उनके भाई उनका आदर-सत्कार जमीन के कारण करते हैं। हरिहर काका ऐसे कई लोगों को जानते हैं, जिन्होंने अपने जीते जी अपनी जमीन किसी और के नाम लिख दी थी। बाद में उनका जीवन नरक बन गया था। वे नहीं चाहते थे कि उनके साथ भी ऐसा हो।
प्रश्न 5.
हरिहर काका को जबरन उठा ले जाने वाले कौन थे? उन्होंने उनके साथ कैसा बरताव किया?त्तर-
महंत के संकेत पर ठाकुरबारी के साधु-संत हरिहर काका को उठाकर ले गए थे। पहले उन्हें समझा-बुझाकर सादे कागज़ पर अँगूठे का निशान लेने का प्रयास किया गया। सफलता न मिलने पर ज़बरदस्ती निशान लेकर हाथ-पाँव और मुँह बाँधकर उन्हें कमरे में बंद कर दिया गया था।
प्रश्न 6.
हरिहर काका के मामले में गाँववालों की क्या राय थी और उसके क्या कारण थे?.
उत्तर-
हरिहर काका के मामले में गाँव के लोगों के दो वर्ग बन गए थे। दोनों ही पक्ष के लोगों की अपनी-अपनी राय थी। आधे लोग परिवार वालों के पक्ष में थे। उनका कहना था कि काका की जमीन पर हक तो उनके परिवार वालों का बनता है। काका को अपनी ज़मीन-जायदाद अपने भाइयों के नाम लिख देनी चाहिए, ऐसा न करना अन्याय होगा। दूसरे पक्ष के लोगों का मानना था कि महंत हरिहर की ज़मीन उनको मोक्ष दिलाने के लिए लेना चाहता है। काका को अपनी ज़मीन ठाकुरजी के नाम लिख देनी चाहिए। इससे उनका नाम या यश भी फैलेगा और उन्हें सीधे बैकुंठ की प्राप्ति होगी। इस प्रकार जितने मुँह थे उतनी बातें होने लगीं। प्रत्येक का अपना मत था। इन सबको एक कारण था कि हरिहर काका विधुर थे और उनकी अपनी कोई संतान न थी जो उनका उत्तरा ,धिकारी बनता। पंद्रह बीघे जमीन के कारण इन सबका लालच स्वाभाविक था।
प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, "अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।"
उत्तर
लेखक ने यह इसलिए कहा है, क्योंकि अज्ञान की ही स्थिति में अर्थात् सांसारिक आसक्ति या नश्वर संसार के सुख की इच्छा के कारण ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। जब उन्हें यह ज्ञान हो जाता है कि मृत्यु तो अटल सत्य है, क्योंकि जो इस धरती पर जन्म लेता है, उसकी मृत्यु तो निश्चित है तथा जब यह शरीर जीर्ण-शीर्ण हो जाता है, तो इस मृत्यु के माध्यम से प्रभु हमें नया शरीर और नया जीवन देते हैं, तब वे मृत्यु से घबराते नहीं, डरते नहीं, बल्कि मृत्यु आने पर उसका स्वागत करते हैं, अर्थात् उसका वरण करते हैं।
प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि लेखक ने यह क्यों कहा, "अज्ञान की स्थिति में ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। ज्ञान होने के बाद तो आदमी आवश्यकता पड़ने पर मृत्यु को वरण करने के लिए तैयार हो जाता है।"
उत्तर
लेखक ने यह इसलिए कहा है, क्योंकि अज्ञान की ही स्थिति में अर्थात् सांसारिक आसक्ति या नश्वर संसार के सुख की इच्छा के कारण ही मनुष्य मृत्यु से डरते हैं। जब उन्हें यह ज्ञान हो जाता है कि मृत्यु तो अटल सत्य है, क्योंकि जो इस धरती पर जन्म लेता है, उसकी मृत्यु तो निश्चित है तथा जब यह शरीर जीर्ण-शीर्ण हो जाता है, तो इस मृत्यु के माध्यम से प्रभु हमें नया शरीर और नया जीवन देते हैं, तब वे मृत्यु से घबराते नहीं, डरते नहीं, बल्कि मृत्यु आने पर उसका स्वागत करते हैं, अर्थात् उसका वरण करते हैं।
प्रश्न 8.
समाज में रिश्तों की क्या अहमियत है? इस विषय पर अपने विचार प्रकट कीजिए
उत्तर
आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते-नाते निभाते हैं। अब रिश्तों से ज्यादा रिश्तेदार की कामयाबी और स्वार्थ सिधि की अहमियत है। रिश्ते ही उसे अपने-पराए में अंतर करने की पहचान करवाते हैं। रिश्तों के द्वारा व्यक्ति की समाज में विशेष भूमिका नि रित होती है। रिश्ते ही सुख-दुख में काम आते हैं। यह दुख की बात है कि आज के इस बदलते दौर में रिश्तों पर स्वार्थ की भावना हावी होती जा रही है। रिश्तों में प्यार व बंधुत्व समाप्त हो गया है। इस कहानी में भी यदि पुलिस न पहुँचती तो परिवार वाले काका की हत्या कर देते । इनसानियत तथा रिश्तों का खून तब स्पष्ट नज़र आता है जब महंत तथा परिवार वालों को काका के लिए अफ़सोस नहीं बल्कि उनकी हत्या न कर पाने की अफ़सोस है। ठीक इसी प्रकार आज रिश्तों से ज्यादा धन-दौलत को अहमियत दी जा रही है।
प्रश्न 10.
हरिहर काका के गाँव में यदि मीडिया की पहुँच होती तो उनकी क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
हरिहर काका का जिस प्रकार से धर्म और घर अर्थात् खून के रिश्तों से विश्वास उठ चुका था, उससे वे मानसिक रूप से बीमार हो गए थे। वे बिलकुल चुप रहते थे। किसी की भी कोई बात का कोई उत्तर नहीं देते थे। वर्तमान दृष्टि से यदि देखा जाए तो आज मीडिया की अहम् भूमिका है। लोगों को सच्चाई से अवगत करना उसका मुख्य कार्य है। जन-संचार के दुवारा घर-घर में बात पहुँचाई जा सकती है। इसके द्वारा लोगों तथा समाज तक बात पहुँचाना आसान है। यदि हरिहर काका की बात मीडिया तक पहुँच जाती तो शायद स्थिति थोड़ी भिन्न होती। वे अपनी बात लोगों के सामने रख पाते और स्वयं पर हुए अत्याचारों के विषय में लोगों को जागृत करते। हरिहर काका को मीडिया ठीक प्रकार से न्याय दिलवाती। उन्हें स्वतंत्र रूप से जीने की व्यवस्था उपलब्ध करवाने में मदद करती। जिस प्रकार के दबाव में वे जी रहे थे वैसी स्थिति मीडिया की सहायता मिलने के बाद नहीं होती।
7 /7/ 2025
स्पर्श
डायरी का एक पन्ना
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
26 जनवरी 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए क्या-क्या तैयारियाँ की गईं?
उत्तर-
26 जनवरी, 1931 के दिन को अमर बनाने के लिए निम्नलिखित तैयारियाँ की गईं :
1. कलकत्ता के लोगों ने अपने-अपने घरों को खूब सजाया।
2. अधिकांश मकानों पर राष्ट्रीय झंडा फहराया गया।
3. कुछ मकानों और बाज़ारों को ऐसे सजाया गया कि मानो स्वतंत्रता ही प्राप्त हो गई हो।
4. कलकत्ते के प्रत्येक भाग में झंडे लहराए गए।
5. लोगों ने ऐसी सजावटे पहले नहीं देखी थी।
प्रश्न 2.
आज जो बात थी वह निराली थी'-किस बात से पता चल रहा था कि आज का दिन अपने आप में निराला है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
26 जनवरी का दिन अपने-आप में निराला था। कलकत्तावासी पूरे उत्साह पूरी नवीनता के साथ इस दिन को यादगार दिन बनाने की तैयारी में जुटे थे। अंग्रेज़ी सरकार के कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बाद भी हज़ारों की संख्या में लोग लाठी खाकर भी जुलूस में भाग ले रहे थे। सरकार द्वारा सभा भंग करने की कोशिशों के बावजूद भी बड़ी संख्या में आम जनता और कार्यकर्ता संगठित होकर मोनुमेंट के पास एकत्रित हो रहे थे। स्त्रियों ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस दिन अंग्रेज़ी कानून को खुली चुनौती देकर कलकत्तावासियों ने देश-प्रेम और एकता का अपूर्व प्रदर्शन किया।
प्रश्न 3.
पुलिस कमिश्नर के नोटिस और कौंसिल के नोटिस में क्या अंतर था?
उत्तर-
दोनों में यह अंतर था कि पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था कि अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती और जो लोग सभा में भाग लेंगे, वे दोषी समझे जाएँगे, जबकि कौंसिल के नोटिस में था कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडी फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। इसमें सर्व-साधारण की उपस्थिति होनी चाहिए।
प्रश्न 4.
धर्मतल्ले के मोड़ पर आकर जुलूस क्यों टूट गया?
उत्तर-
सुभाष बाबू के नेतृत्व में जुलूस पूरे जोश के साथ आगे बढ़ रहा था। थोड़ा आगे बढ़ने पर पुलिस ने सुभाष बाबू को पकड़ लिया और गाड़ी में बिठाकर लाल बाज़ार के लॉकअप में भेज दिया। जुलूस में भाग लेनेवाले आंदोलनकारियों पर पुलिस ने लाठियाँ बरसानी शुरू कर दी थीं। बहुत से लोग बुरी तरह घायल हो चुके थे। पुलिस की बर्बरता के कारण जुलूस बिखर गया था। मोड़ पर पचास साठ स्त्रियाँ धरना देकर बैठ गईं थीं। पुलिस ने उन्हें पकड़कर लालबाज़ार भेज दिया था।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में)
लिखिए-
प्रश्न 1.
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री समाज की क्या भूमिका थी?
उत्तर-
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्री-समाज ने एक अहम भूमिका निभायी थी। स्त्री समाज ने जगह-जगह से जुलूस निकालने की तथा ठीक स्थान पर पहुँचने की तैयारी और कोशिश की थी। स्त्रियों ने मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहरा करे घोषणा-पत्र पढ़ा था तथा पुलिस के बहुत-से अत्याचारों का सामना किया था। विमल प्रतिभा, जानकी देवी और मदालसा आदि ने जुलूस का सफल नेतृत्व किया था।
प्रश्नन 2 :
जुलूस के लालबजार आने पर लोगों की क्या दशा हुई?
उत्तर-
जुलूस के लालबाज़ार आने पर पुलिस ने एकत्रित भीड़ पर लाठियों से प्रहार किया। सुभाष बाबू को पकड़कर लॉकअप में भेज दिया गया। स्त्रियों का नेतृत्व करनेवाली मदालसा भी पकड़ी गई थी। उसको थाने में मारा भी गया । इस जुलूस में लगभग 200 व्यक्ति घायल हुए जिसमें से कुछ की हालत गंभीर थी।
प्रश्न 3.
जब से कानून भंग का काम शुरू हुआ है तब से आज तक इतनी बड़ी सभा ऐसे मैदान में नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि ओपन लड़ाई थी।' यहाँ पर कौन से और किसके द्वारा लागू किए गए कानून को भंग करने की बात कही गई है? क्या कानून भंग करना उचित था? पाठ के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर-
जब पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकला कि अमुक-अमुक धारा के अनुसार कोई सभा नहीं हो सकती और सभा में भाग लेने वालों को दोषी समझा जाएगा, तो कौंसिल की तरफ़ से भी नोटिस निकाला गया कि मोनुमेंट के नीचे ठीक चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। इस तरह से पुलिस कमिश्नर द्वारा सभा स्थगित करने जैसे लागू कानून को कौंसिल की तरफ़ से भंग किया गया था; जोकि उचित था, क्योंकि इसके बिना आज़ादी की आग प्रज्वलित न होती।
प्रश्न 4.
बहुत से लोग घायल हुए, बहुतों को लॉकअप में रखा गया, बहुत-सी स्त्रियाँ जेल गईं, फिर भी इस दिन को अपूर्व बताया गया है। आपके विचार में यह सब अपूर्व क्यों है? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
हमारे विचार में 26 जनवरी 1931 का दिन अद्भुत था क्योंकि इस दिन कलकतावासियों को अपनी देशभक्ति, एकता व साहस को सिद्ध करने का अवसर मिला था। उन्होंने देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया। अंग्रेज़ प्रशासकों ने इसे उनका अपराध मानते हुए उनपर और विशेष रूप से महिला कार्यकर्ताओं पर अनेक अत्याचार किए लेकिन पुलिस द्वारा किया गया क्रूरतापूर्ण व्यवहार भी उनके इरादों को बदल नहीं सका और न ही उनके जोश कम कर पाया । एकजुट होकर राष्ट्रीय झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा करने का जो संकल्प उन सबने मिलकर लिया था उसे उन्होंने यातनाएँ सहकर भी उस दिन पूरा किया।
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कक्षा 10 - हिंदी
पाठ 4
मनुष्यताI
Question Answers
प्रश्न 1 -:
कवि ने कैसी मृत्यु को समृत्यु कहा है?
उत्तर-: कवि ने ऐसी मृत्यु को समृत्यु कहा है जिसमें मनुष्य अपने से पहले दूसरे की चिंता करता है और परोपकार की राह को चुनता है जिससे उसे मरने के बाद भी याद किया जाता है।
प्रश्न 2 -:
उदार व्यक्ति की पहचान कैसे हो सकती है?
उत्तर -: उदार व्यक्ति परोपकारी होता है, वह अपने से पहले दूसरों की चिंता करता है और लोक कल्याण के लिए अपना जीवन त्याग देता है।
प्रश्न 3 -: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं के उदाहरण दे कर 'मनुष्यता' के लिए क्या उदाहरण दिया है?
उत्तर -: कवि ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तिओं केउदाहरण दे कर 'मनुष्यता' के लिए यह सन्देश दिया है कि परोपकार करने वाला ही असली मनुष्य कहलाने योग्य होता है। मानवता की रक्षा के लिए दधीचि ने अपने शरीर की सारी अस्थियां दान कर दी थी, कर्ण ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपना कवच दे दिया था जिस कारण उन्हें आज तक याद किया जाता है। कवि इन उदाहरणों के द्वारा यह समझाना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है।
प्रश्न 4 -: कवि ने किन पंक्तियों में यह व्यक्त किया है कि हमें गर्व - रहित जीवन व्यतीत करना चाहिए?
उत्तर -: कवि ने निम्नलिखित पंक्तियों में गर्व रहित जीवन व्यतीत करने की बात कही है-:
रहो न भूल के कभी मगांघ तुच्छ वित्त में, सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में। अर्थात सम्पति के घमंड में कभी नहीं रहना चाहिए और न ही इस बात पर गर्व करना चाहिए कि आपके पास आपके अपनों का साथ है क्योंकि इस दुनिया में कोई भी अनाथ नहीं है सब उस परम पिता परमेश्वर की संतान हैं।
प्रश्न 5 -: '
उत्तर: मनुष्य मात्र बन्धु है' से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए। -: ' मनुष्य मात्र बन्धु है' अर्थात हम सब मनुष्य एक ईश्वर की संतान हैं अतः हम सब भाई बन्धु हैं। भाई-बन्धु होने के नाते हमें भाईचारे के साथ रहना चाहिए और एक दूसरे का बुरे समय में साथ देना चाहिए।
प्रश्न 6 -: कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है ?
उत्तर -: कवि ने सबको एक होकर चलने की प्रेरणाइसलिए दी है ताकि आपसी समझ न बिगड़े और न ही भेदभाव बड़े। सब एक साथ एक होकर चलेंगे तो सारी बाधाएं मिट जाएगी और सबका कल्याण और समृद्धि होगी ।
प्रश्न 7 -: व्यक्ति को किस तरह का जीवन व्यतीत करना चाहिए ? इस कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर -: मनुष्य को परोपकार का जीवन जीना चाहिएअपने से पहले दूसरों के दुखों की चिंता करनी चाहिए। केवल अपने बारे में तो जानवर भी सोचते हैं, कवि के अनुसार मनुष्य वही कहलाता है जो अपने से पहले दूसरों की चिंता करे।
प्रश्न 8 -: ' मनुष्यता' कविता के द्वारा कवि क्या सन्देश देना चाहता है ?
उत्तर -: 'मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि यह सन्देश
देना चाहता है कि परोपकार ही सच्ची मनुष्यता है। परोपकार ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हम युगों तक लोगो के दिल में अपनी जगह बना सकते है और परोपकार के द्वारा ही समाज का कल्याण व समृद्धि संभव है। अतः हमें परोपकारी बनना चाहिए ताकि हम सही मायने में मनुष्य कहलाये।
.................................................... मन
पाठ10 तततताँरा - वामीरो कथा
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का यह मत था कि लकड़ी की होने के बावजूद उस तलवार में अद्भुत दैवीय शक्ति थी। वह अपनी तलवार को अपने से कभी भी अलग न होने देता था और दूसरों के सामने उसका उपयोग नहीं करता था।
2. वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
3त्तर
जब समुद्र के किनारे बैठी वामीरो एक श्रृंगार-गीत गा रही थी, तभी अचानक एक सुंदर युवक (तताँरा) को सामने देखकर उसने अपना श्रृंगार-गीत बीच में रोक दिया। तताँरा ने इसका कारण पूछा और उससे बार-बार आग्रह करने लगा कि वह(वामीरी) गीत गाकर पूरा करे। इस असंगल प्रश्न के कारण ही पामीरी ने तताँरा को बेरुखी से जबाव दिया कि पहले ततारा बताए कि वह कौन है। वह उसे क्यों पूर रहा है और उससे असंगत प्रश्न क्यों कर रहा है? यह अपने गाँव के अतिरिक्त किसी अन्य गाँव के युवक को उत्तर देने के लिए बाध्य नहीं है।
3. ततारा-वामीरी की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर
ततॉरा-वामीरी की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में यह परिवर्तन आया कि वहाँ लोग अब दूसरे गाँवों से भी वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे। दोनों की त्यागमयी मृत्यु ने लोगों की विचारधारा में एक सुखद तथा अद्भुत परिवर्तन ला दिया तथा उनकी रूढ़िवादी परंपराएँ भी परिवर्तित हो गईं।
4. निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे
उत्तर
निकोबार के लोग तताँरा को उसके बहुत-से गुणों के कारण पसंद करते थे। जैसे-तताँरा एक सुंदर तथा शक्तिशाली युवक था। वह एक नेक और मददगार व्यक्ति था इसलिए सदैव दूसरों की सहायता के लिए तैयार रहता था। वह अपने गाँववालों की ही नहीं, बल्कि समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
1. निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का यह विश्वास है कि प्राचीन काल में ये दोनों दूद्वीप एक ही थे। इनके विभक्त होने में तताँरा और वामीरो की प्रेम-कथा की त्यागमयी मृत्यु है। जब तताँरा धरती में अपनी लकड़ी की तलवार घोंपकर उसे पूरी ताकत के साथ खींचते खींचते दूर तक चला गया तो इससे धरती दो टुकड़ों में बँट गई अर्थात कार-निकोबार के दो टुकड़े हो गए। इस घटना के बाद निकोबारी दूसरे गाँवों में भी आपसी वैवाहिक संबंध करने लगे। तताँरा-वामीरो की यह त्यागमयी मृत्यु शायद इसी सुखद परिवर्तन के लिए थी।
2. तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
- तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र किनारे गया। वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अलौकिक था-सूरज समुद्र से लगे क्षितिज तले डूबने को था तथा समुद्र से ठंडी बयारें आ रही थीं। लहरें संगीत सुना रही थीं। पक्षियों की सायंकालीन चहचहाहटें धीरे-धीरे कम हो रही थीं। सूरज की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र पर प्रतिबिंबित हो रही थीं। इस सायंकालीन प्राकृतिक सौंदर्य को तताँरा बालू पर बैठकर निहार रहा था।
3. वामीरी से मिलने के बाद ततीरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
अथवा
तताँरा के जीवन में वामीरी के आने से क्या परिवर्तन आया?
उत्तर
वामौरी से मिलने के बाद ततौरा के जीवन में अद्भुत परिवर्तन आया। वह वामीरी से मिलकर सम्मोहित-सा हो गया। उसके शांत जीवन में हलचल मच गई। वह स्वयं को रोमांचित अनुभव कर रहा था। वह वामीरो की प्रतीक्षा में दिन बिताने लगा। प्रतीक्षा का एक-एक पल उसे पहाड़ की तरह भारी प्रतीत होता था। वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहता था कि वामीरो उससे मिलने आएगी या नहीं अर्थात उसके मन में आशंका-सी बनी रहती थी।
4. प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए 'पशु-पर्व' का आयोजन किया जाता था। इसमें हृष्ट-पुष्ट पशुओं के अतिरिक्त पशुओं से युवकों की शक्ति-परीक्षा प्रतियोगिता भी होती थी। सभी गाँवों के लोग इसमें हिस्सा लेते थे। इस आयोजन में नृत्य-संगीत और भोजन का भी प्रबंध किया जाता था।
5. रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
रुढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें, तब वास्तव में उनका टूट जाना ही उचित है तथा इनमें परिवर्तन करना श्रेयस्कर होता है क्योंकि रूढ़ियाँ व्यक्ति को बंधनों में जकड़ लेती हैं,जिससे व्यक्ति का विकास होना बंद हो जाता है। इनके टूट जाने से व्यक्ति के दिलो-दिमाग पर छाया बोझ हट जाता है। व्यक्ति की उन्नति तथा स्वतंत्रता हेतु इन रूढ़ियों को तोड़ देना चाहिए, नहीं तो ये हमारी उन्नति में बाधक बनकर खड़ी रहेंगी।
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पर्वत प्रदेश में पावस (पद्य)
पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोत्तर
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1.पावस ऋतु में प्रकृति में कौन-कौन से परिवर्तन आते हैं?कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पर्वत-प्रदेश में पावस' कविता के आधार पर लिखिए कि पर्वतीय क्षेत्रों में पावस ऋतु में क्या-क्या परिवर्तन होते है?
उत्तर
पावस ऋतु में प्रकृति में पल-पल बहुत-से मनोहारी परिवर्तन आते हैं। जैसे-
पर्वत, ताल, झरने आदि भी मनुष्यों की ही भाँति भावनाओं से ओत-प्रोत दिखाई देते हैं।
(i i )विशालकाय पर्वत ताल के जल में अपना महाकार देखकर हैरान सा दिखाई देता है।
(iii) पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते हैं।
उत्तर
(iv) बादलों की ओट में छिपे पर्वत को देखकर ऐसा लगता है कि मानो वह पंख लगाकर कहीं उड़ गया हो तथा तालाबों में से उठता हुआ वाष्प (भाप) धुएँ की भाँति प्रतीत होता है।
2. 'मेखलाकार' शब्द का क्या अर्थ है? कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ क्यों किया है?
अथवा
'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में पर्वतों को 'मेखलाकार पर्वत अपार' कहने का कवि का क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए
'मेखलाकार' शब्द का अर्थ है- 'करधनी' के आकार के पहाड़ की ढाल, अर्थात जिसने चारों ओर से घेरा बनाया हुआ हो। कवि ने इस शब्द का प्रयोग यहाँ इसलिए किया है क्योंकि ये पर्वत संपूर्ण पर्वत प्रदेश में चारों ओर से करधनी के समान गोलाकार घेरा बनाकर खड़े प्रतीत होते हैं।
3. 'सहस्र दृग-सुमन' से क्या तात्पर्य है? कवि ने इस पद का प्रयोग किसके लिए किया होगा?
पर्वत अपने चरणों में स्थित तालाब में अपने हजारों सुमन रूपी नेत्रों से अपने ही प्रतिबिंब को निहारते हुए प्रतीत होताकिया है।हैं। पर्वत पर खिले सहस्र फूलों का पर्वतों के नेत्र के रूप में मानवीकरण किया गया है। इस तरह से स्पष्ट हो जाता है कि कवि ने इस पद का प्रयोग पर्वत का मानवीकरण करने के लिए किया होगा।
4. कवि ने तालाब की समानता किसके साथ दिखाई है और क्यों ?
उत्तर
'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में तालाब की समानता दर्पण के साथ दिखाई गई है क्योंकि तालाब में व्यक्ति दर्पण की भाँति अपना प्रतिबिंब देख सकता है। तालाब का जल निर्मल व स्वच्छ है। तालाब में दर्पण की भाँति महाकार पर्वत अपना प्रतिबिंब निहार रहा है।
5. पर्वत के हृदय से उठकर ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश की ओर क्यों देख रहे थे और वे किस बात को प्रतिबिंबित करते हैं?
उत्तर
पर्वत पर खड़े ऊँचे-ऊँचे वृक्ष पर्वत की ऊँची अभिलाषाओं के प्रतीक हैं। पर्वत अपनी इन्हीं ऊँची आकांक्षाओं से आकाश को छूना चाहता है। ये ऊँचे-ऊँचे वृक्ष आकाश को छूने की अभिलाषा में ही आकाश की ओर देख रहे हैं, किंतु पावस ऋतु में आकाश बादलों में घिरा है, अतः वे अपने लक्ष्य को सामने न पाकर थोड़ा चिंतित भी दिखाई दे रहे हैं। उनका इस प्रकार चिंतित होते हुए भी अपलक आकाश को निहारना इस बात को प्रतिबिंबित करना है कि जब-जब मनुष्य के जीवन-लक्ष्य के मार्ग में कठिनाइयाँ या बाधाएँ आती हैं, तब-तब चिंता तो स्वाभाविक है, किंतु इन प्रतिकूल परिस्थितियों में उस लक्ष्य को अपलक निहारना नहीं छोड़ना चाहिए अर्थात उसे पाने के प्रयास नहीं छोड़ देने चाहिए।
6. शाल के वृक्ष भयभीत होकर धरती में क्यों धँस गए?
पर्वत प्रदेश में पावस के समय तेज वर्षा के कारण घाटी में स्थित तालाब में से धुआँ उठता है और घने कोहरे के छाने से शाल के वृक्ष अदृश्य होकर धरती में धँस गए प्रतीत होते हैं। वर्षा की बूँदों के तीव्र प्रहार से वे भयभीत होकर लुप्त होते प्रतीत होते हैं जबकि यह पर्वतीय प्रदेशों में पावस से उत्पन्न प्राकृतिक सौंदर्य की घटना है
7.
झरने किसके गौरव का गान कर रहे हैं? बहते हुए झरने की तुलना किससे की गई है?
उत्तर
पर्वतों की ऊँची चोटियों से 'झर-झर' करते हुए बहते झरने देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि, मानो वे पर्वतों की उच्चता व महानता की गौरव गाथा गा रहे हों। जहाँ तक बहते हुए झरने की तुलना का संबंध है तो बहते हुए झरने की तुलना मोती रूपी लड़ियों से की गई है।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
इसका भाव है कि जब आकाश में चारों तरफ असंख्य तथा घने बादल छा जाते हैं, तो वातावरण धुंधमय हो जाता है। उस समय कुछ भी दिखाई नहीं देता, केवल झरनों की झर-झर ही सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानो धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।
2. यों जलद-यान में विचर-विचर था इंद्र खेलता इंद्रजाल ।
उत्तर
इस अंश का भाव है कि पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के समय में क्षण-क्षण होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों तथा अलौकिक दृश्यों को देख कर ऐसा प्रतीत होता है, जैसे इंद्र देवता ही अपना इंद्रजाल जलद रूपी यान में घूम-घूमकर जादू का खेल दिखा रहे हों, अर्थात बादलों का पर्वतों से टकराना और उन्हीं बादलों में पर्वतों व पेड़ों।
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